Saturday, May 28, 2016

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

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नब्ज थमती गयी,साँस जमती गयी
फिर भी बढते कदम को ना रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ गम नही
सर हिमालय का हमने ना झुकने दिया
मरते मरते रहा बांकपन साथियो,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

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