आज संदीप कुमार को भले ही सारे लोग जान जाएं. पूरी दुनिया उनसे जुड़ना चाहे लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था. वे समाज के वंचित और दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और उनके पिता एक रिक्शेवान का काम किया करते थे लेकिन संदीप ने UPSC की परीक्षा पास करने के क्रम में हर तरह के सुख-सुविधाओं से समझौता किया. उन्होंने दिन में काम और रात-रात भर जाग कर पढ़ाई की है. इतना ही नहीं उन्होंने अपना ग्रेजुएशन भी करेस्पॉन्डेंस के माध्यम से किया है.
पिता की मौत के बाद उन पर दोगुना प्रेशर आ गया...
संदीप दिल्ली के कठपुतली कॉलोनी इलाके में झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं और उनके पिता भी उनके साथ रहा करते थे. पिता की मौत के बाद वे इस बात को लेकर और भी कटिबद्ध हो गए कि उन्हें UPSC की परीक्षा पास करनी हैं. वे अब समाज के वंचित तबके के विकास और बेहतरी के लिए अनवरत काम करना चाहते हैं.
संदीप की रैंकिंग उनके आईएएस बनने में है बाधा...
संदीप कहते हैं कि UPSC 2015 की परीक्षा में उन्हें मिले नंबरों के आधार पर वे आईएएस नहीं बन सकेंगे. हालांकि आईपीएस और आईआरएस बनना उनके जद में है. अब जब कि वे एक बेहतर स्थिति में होंगे. वे फिर से और बेहतर होने का प्रयास करेंगे. इसके अलावा वे कहते हैं कि उनका परिवार खास तौर पर दो बहनों और मां ने उनके पढ़ाई के लिए हर तरह की सुख-सुविधा का त्याग किया है और वे व्यापक संदर्भ में महिलाओं की बेहतरी के लिए काम करना चाहेंगे.
अब हम तो ईश्वर से यही दुआ करेंगे कि संदीप का हौसला और विजन इसी तरह बरकरार रहे और वे समाज में व्यापक और सकारात्मक बदलाव के लिए संघर्ष करते रहें.
संदीप दिल्ली के कठपुतली कॉलोनी इलाके में झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं और उनके पिता भी उनके साथ रहा करते थे. पिता की मौत के बाद वे इस बात को लेकर और भी कटिबद्ध हो गए कि उन्हें UPSC की परीक्षा पास करनी हैं. वे अब समाज के वंचित तबके के विकास और बेहतरी के लिए अनवरत काम करना चाहते हैं.
संदीप की रैंकिंग उनके आईएएस बनने में है बाधा...
संदीप कहते हैं कि UPSC 2015 की परीक्षा में उन्हें मिले नंबरों के आधार पर वे आईएएस नहीं बन सकेंगे. हालांकि आईपीएस और आईआरएस बनना उनके जद में है. अब जब कि वे एक बेहतर स्थिति में होंगे. वे फिर से और बेहतर होने का प्रयास करेंगे. इसके अलावा वे कहते हैं कि उनका परिवार खास तौर पर दो बहनों और मां ने उनके पढ़ाई के लिए हर तरह की सुख-सुविधा का त्याग किया है और वे व्यापक संदर्भ में महिलाओं की बेहतरी के लिए काम करना चाहेंगे.
अब हम तो ईश्वर से यही दुआ करेंगे कि संदीप का हौसला और विजन इसी तरह बरकरार रहे और वे समाज में व्यापक और सकारात्मक बदलाव के लिए संघर्ष करते रहें.
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